मॉड्यूल 11: गतिविधि 6 चिंतन बिंदु
पाठ्यपुस्तक
की
सहायता
से
स्पष्ट
करें
कि
आप
अपनी
कक्षा
में
विभिन्न
संवेदनशील
मुद्दे
जैसे
जेंडर,
पर्यावरण
और
विशेष
आवश्यकताओं
(दिव्यांग्जन)
आदि
का
समावेश
कैसे
करेंगे
?
चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
अगर ऐसी कक्षा समावेश करने को मिले तो। मैं सबसे पहले आवश्यकता के अनुसार बच्चों को एकत्रित कर उन्हें अलग अलग समूह मे बाट कर, भरपुर समय देकर उनकि जरुरत के अनुसार कक्षा का परिपालन करूँगा ।
ReplyDeleteMain sabse pahle to bachchon ke mann mein yeh vishvaas paydan karungi. ki meri nazar mein weh sab barabar hain.
ReplyDeletewuske baad bachchon ko samuhon mein batenge aur saral bhaasaa ka proyog karte huye paat se kuch karya dengey .jisse bachche ruchi ke saath karenge.
Sabse pahle to bachchon ke vishvaas jitungi .wuske bhaad saral bhaasaa ka proyog karte huye kaksha ka aarambh karungi.bachchon ke mann se bhed- baho mittahungi . samaaj mein sabko apne samtha ke anusar jine ka matalab sikahungi.paat ke anusar kuch grikarya bhi dengey.
ReplyDeleteकक्षों में कहानी के माध्यम से विभिन्न सम्वेदनशील मुद्दे जैसे जेंडर पर्यावरण और विसेष आवस्यकताओ(दिव्यागौ ) आदि का समावेश करके पढ़ा सकते है ।
ReplyDeleteजैसे पाठपुस्तक के बहादूर विततो की कहानी एक उदाहरण है ।कहानी के नाम/ शीर्षक के बारे में की गयी बातचीत बच्चों को कहानी की मुख्य घटनाओं,पात्रो का विश्लेषण करने या पर्यावरण संबंधी तथा जेंडर उसके बारे मे सोचे बिचार का अवसर जुटाती है ।कहानी को अपना शीर्षक देना बच्चों की तर्क शक्ति और कलपना शक्ति को बढ़ाने मे मदद करती है ।इस में भाषाका सृजन भी होता है ।
बहादूर वित्तो कहानी के संदर्व में भी स्तिथि विसेष प्रस्तुत कर मीता ने बच्चों से कहानी को अपने-अपने अंदाज मे आगे बढ़ाने और कहानी का अंत बदलने के लीये कहा।
इस तरह से हम देखते हैं कि कक्षाओं में विभिन्न मुद्दों को हम कहानी के माध्यम से पर्यावरण और जेंडर का समावेश कर बच्चों को अच्छे तरह से पढ़ा सकते है ।
अगर ऐसी कक्षा समावेश करने को मिले तो। मैं सबसे पहले आवश्यकता के अनुसार बच्चों को एकत्रित कर उन्हें अलग अलग समूह मे बाट कर, भरपुर समय देकर उनकि जरुरत के अनुसार कक्षा का परिपालन करूँगा ।
ReplyDeleteकक्षा में विभिन्न कहानियों और कविताओं की सहायता से संवेदनशील मुद्दों का समावेश और उनके समाधान का उदाहरण प्रस्तुत किया जा सकता है। सर्वप्रथम कक्षा को आवश्यकता के अनुसार बच्चों को एकत्रित कर उन्हें अलग-अलग समूहों में विभाजित किया जा सकता है, तथा आवश्यकता के अनुसार समय देकर कक्षा का परिचालन किया जा सकता है।
ReplyDeleteMae ling k baare me baccho ko samjha ung'ga aur disabilities bacho ko bhi utna dyan dunga ki jitna normal bachho ko deta hun. Pariyavaran tho bahut hi mahatvpurn vishey hain jise pushtak k bhar se bhi samjhana hain
ReplyDeleteलैंगिक जागरूकता, लैंगिक संवेदनशीलता, पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरणीय संतुलन और दिव्यांगों के लिए सुलभता जैसे मुद्दे समग्र शिक्षा का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। इन मुद्दों को शिक्षकों द्वारा विभिन्न विषयों के शिक्षण में चर्चा, प्रस्तुतियों आदि के माध्यम से समन्वित किया जा सकता है।
ReplyDeleteजेंडर, पर्यावरण और उनके आवश्यकताएं एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय हैं। इसे हम अलग दृष्टिकोण से नहीं देख सकते हैं। आज के युग में लड़का और लड़की एक समान दृष्टि से देखकर उन्हें पर्यावरण के बारे में ऐसी जानकारियां दे सकते हैं के भविष्य में हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रख सके। जैसे अधिक मात्रा में पेड़ लगाना, पैरों को कम काटना, प्रदूषण को कम फैलाना चीजों पर टिप्पणियां करके उन्हें आज के भरते प्रदूषण पर रोक लगाना चीजों पर हम बच्चों को ज्ञान दे सकते हैं। जिससे पर्यावरण सुरक्षित रख सके।
ReplyDeleteकक्षा में विभिन्न और कविताओं की सहायता से संवेदनशील मुद्दे का समावेश और उनके समाधान का उदाहरण प्रस्तुत किया जा सकता है ।सबसे पहले कक्षा को आवश्यकता के अनुसार बच्चों को एकत्रित कर उनहे अलग- अलग समूहों में विभाजित किया जा सकता है ।
ReplyDeleteकक्षा में विभिन्न कहानियों और कविताओं की सहायता से संवेदनशील मुद्दों का समावेश और उनके समाधान का उदाहरण प्रस्तुत किया जा सकता है। सर्वप्रथम कक्षा को आवश्यकता के अनुसार बच्चों को एकत्रित कर उन्हें अलग-अलग समूहों में विभाजित किया जा सकता है, तथा आवश्यकता के अनुसार समय देकर कक्षा का परिचालन किया जा सकता है।
ReplyDeleteसबसे पहले हम अपने कक्षा के बच्चों को अलग -अलग भागों में बांट कर विभाजित कर सकते हैं और समय का ध्यान रखते हुए कक्षा में बच्चों का परिचालन किया जा सकता है। कक्षा में अलग-अलग कहानियाॅ और कविताओ की मदद से हम संवेदनशील मुद्दे का समावेश और उनके समाधान का उदाहरण दिया जा सकता हैं ।
ReplyDeleteएक जेंडर दिव्यांगता पर्यावरण अध्ययन से जुड़ाव है बच्चों को बाहर की दुनिया से जोड़कर कहानी उदाहरण चित्रों के माध्यम से उन्हें समझ विकसित करने का प्रयास करेंगे ताकि भविष्य में एक संवेदनशील नागरिक बन सकें
ReplyDeleteएक सीखने का वातावरण प्रदान किया जाना चाहिए, जहां छात्र लिंग, विशेष आवश्यकताओं, कलाकारों, स्थिति या राष्ट्रीयता के किसी भी भेद के बिना खुद को सुरक्षित और अभिव्यक्त कर सकते हैं। छात्रों को सहज और संरक्षित महसूस करना चाहिए, शिक्षकों को छात्रों के प्रति धैर्य रखना चाहिए। क्लास रूम इंटरएक्टिव होना चाहिए और पार्टिसिपेटरी और टीचर्स को स्टूडेंट्स को ग्रुप प्रोजेक्ट, असाइनमेंट, सेमिनार आदि में मदद करनी चाहिए, जो एक-दूसरे के साथ सोशलाइज करने में मदद करें।
ReplyDeleteकक्षा में विभिन्न कहानियों और कविताओं की सहायता से संवेदनशील मुद्दों का समावेश और उनके समाधान का उदाहरण प्रस्तुत किया जा सकता है। सर्वप्रथम कक्षा को आवश्यकता के अनुसार बच्चों को एकत्रित कर उन्हें अलग-अलग समूहों में विभाजित किया जा सकता है, तथा आवश्यकता के अनुसार समय देकर कक्षा का परिचालन किया जा सकता है।
ReplyDeleteजेंडर(लिंग),पर्यावरण,विशेष आवश्यकताओं(दिव्यांजन) आदि जैसे सर्वेदनशील मुध्दों को कक्षा में पाठ्यपुस्तक के सहायता से विस्तार से पढ़ा सकेंगे।बच्चों को उन मुध्दों से जुड़े कहानी सुनायेंगे उनसे जुड़े घटनाएं एंव समाचार और चित्र आदि दिखाकर समझायेगे।बच्चों को समुह में बैठाकर विचार-विमर्श करके उन विषयों पर तर्क-वितर्क करने का अवसर देकर उन विषयों का समावेश करेगे।
ReplyDeleteजेंडर, पर्यावरण और उनके आवश्यकता आदि क समावेश हम इस प्रकार कर सकते है जैसे कक्षाओं में सभी बच्चो को एक समान कर कहानियां और कविताओं के माध्यम से पढ़ा सकते है। इससे जुड़ी हुई कहानियां सुना कर बच्चों में प्रोत्साहन बढ़ा सकते है और उनमें तर्क- वितर्क के कौशालो को विकसित कर सकते है ।
ReplyDeleteअगर ऐसी कक्षा समावेश करने के मिले तो ,में सबसे पहले आवश्यकता के अनुसार बच्चों को बाद एकत्रित कर उन्हें अलग अलग समूह में बात कर बरपुर समय देकर उनके ज़रूरत के अनुसार कक्ष्चा का परिपालन करूंगा
ReplyDeleteजेंडर एक सामाजिक मतभेद है। जबकि जैविक रूप से सभी एक समान है। शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक नर-नारी और थर्ड जेंडर तीनों में पायी जाती है। अतः कक्षा में पाठ्य-पुस्तक की गतिविधियों को करने के लिए समान अवसर उपलब्ध कराएंगे। दिव्यांग बच्चे भी समाज का ही एक अंग है। इसलिए इन बच्चों को भी उनके क्षमतानुसार गतिविधियों में शामिल होने का अवसर उपलब्ध कराएंगे। जिसमें बच्चे भी अपने परिवेश और समाज से अपरिचित नहीं रहेंगे। उन्हें दिव्यांगता का अहसास नहीं होगा और सदा प्रसन्न रहेंगे। पर्यावरण से तात्पर्य यह है कि जो हमारे चारों ओर पाए जाने वाले आवरण को हम पर्यावरण कहते हैं जैसे -जीव-जन्तु् , वनस्पति आदि। यूं कहें तो पर्यावरण सारे विषयों का सार है इसके अंतर्गत प्राकृतिक और सामाजिक पर्यावरण आदि का विकास हुआ है अर्थात पर्यावरण के अंतर्गत सारे विषय समाहित है। इस प्रकार पाठ्य-पुस्तक पुस्तक की सहायता से विभिन्न संवेदनशील मुद्दे जैसे जेंडर , पर्यावरण और विशेष आवश्यकताएं दिव्यांगता आदि का समावेश किया जा सकता है ।
ReplyDeleteअगर ऐसी कझा समावेश करने को मिले तो मै सबसे पहले आवश्यकता के अनुसार बच्चों को एकत्रित कर उन्हें अलग अलग समूह में बाँट कर भरपूर समय देकर ज़रूरत के अनुसार कझा का परिपालन करूँगा।
ReplyDeleteकलस मे विभिन्न कहानियों और कविताओं की सहायता से संवेदनशील मुद्दे का समावेश और उनके समाधान का उदाहरण दिया जा सकता है।
ReplyDeleteकक्षों में कहानी के माध्यम से विभिन्न सम्वेदनशील मुद्दे जैसे जेंडर पर्यावरण और विसेष आवस्यकताओ(दिव्यागौ ) आदि का समावेश करके पढ़ा सकते है ।
ReplyDeleteजैसे पाठपुस्तक के बहादूर विततो की कहानी एक उदाहरण है ।कहानी के नाम/ शीर्षक के बारे में की गयी बातचीत बच्चों को कहानी की मुख्य घटनाओं,पात्रो का विश्लेषण करने या पर्यावरण संबंधी तथा जेंडर उसके बारे मे सोचे बिचार का अवसर जुटाती है ।कहानी को अपना शीर्षक देना बच्चों की तर्क शक्ति और कलपना शक्ति को बढ़ाने मे मदद करती है ।इस में भाषाका सृजन भी होता है ।
बहादूर वित्तो कहानी के संदर्व में भी स्तिथि विसेष प्रस्तुत कर मीता ने बच्चों से कहानी को अपने-अपने अंदाज मे आगे बढ़ाने और कहानी का अंत बदलने के लीये कहा।
इस तरह से हम देखते हैं कि कक्षाओं में विभिन्न मुद्दों को हम कहानी के माध्यम से पर्यावरण और जेंडर का समावेश कर बच्चों को अच्छे तरह से पढ़ा सकते है ।
शिक्षा के लिए विशेष योजना बनानी पड़ती है, यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि उनके अनुकूलतम विकास को बढ़ावा मिले। अभिभावकों और शिक्षकों को इबच्चों को बोलना सिखाने, चलने-फिरने, मित्र बनाने और वे कौशल और संकल्पनाएँ, जो सामान्य बच्चे विकास के दौरान सहज रूप से प्राप्त कर लेते हैं, उन्हें अर्जित करने और सिखाने के लिए विशेष प्रयास करने होते हैं। बच्चों की कुछ ऐसी आवश्यकताएँ हैं जो अधिकांश बच्चों की जरूरतों से भिन्न होती हैं, अर्थात् उनकी कुछ विशेष जरूरतें होती हैं।
ReplyDeleteस्कूलों के छात्रों को विशेष शिक्षा सेवाएं प्रदान करने के लिए अलग अलग दृष्टिकोण का उपयोग करें। इन तरीकों को मोटे तौर पर विशेष जरूरतों के साथ छात्र गैर विकलांग छात्रों के साथ है कितना संपर्क के अनुसार, चार श्रेणियों में बांटा जा सकता है।
सर्वप्रथम कक्षा के सभी बच्चो को एकत्रित करेंगे। और उन्हे तीन-चार भागो मे विभाजित करेंगे। और जरूरत के हिसाब से समय देकर कक्षा का परिचालन करेंगे।
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक के विभिन्न कहानियाँऔर कविताओ के माध्यम से संवेदनहीन मुद्दो का समावेश और उनके समाधान का उदाहरण देकर किया जा सकता है।
लैंगिक जागरूकता, लैंगिक संवेदनशीलता, पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरणीय संतुलन और दिव्यांगों के लिए सुलभता जैसे मुद्दे समग्र शिक्षा का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। इन मुद्दों को शिक्षकों द्वारा विभिन्न विषयों के शिक्षण में चर्चा, प्रस्तुतियों आदि के माध्यम से समन्वित किया जा
ReplyDeleteजेंडर, पर्यावरण और उनके आवश्यकताएं एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय हैं। इसे हम अलग दृष्टिकोण से नहीं देख सकते हैं। आज के युग में लड़का और लड़की एक समान दृष्टि से देखकर उन्हें पर्यावरण के बारे में ऐसी जानकारियां दे सकते हैं के भविष्य में हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रख सके। जैसे अधिक मात्रा में पेड़ लगाना, पैरों को कम काटना, प्रदूषण को कम फैलाना चीजों पर टिप्पणियां करके उन्हें आज के भरते प्रदूषण पर रोक लगाना चीजों पर हम बच्चों को ज्ञान दे सकते हैं। जिससे पर्यावरण सुरक्षित रख सके।
ReplyDeleteभिन्नताओं के कारण बच्चों के पालन-पोषण में कुछ भिन्न या विशिष्ट तरीके अपनाने की आवश्यकता होती है। उनकी शिक्षा के लिए विशेष योजना बनानी पड़ती है, यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि उनके अनुकूलतम विकास को बढ़ावा मिले। अभिभावकों और शिक्षकों को बच्चों को बोलना सिखाने, चलने-फिरने, मित्र बनाने और वे कौशल और संकल्पनाएँ, जो सामान्य बच्चे विकास के दौरान सहज रूप से प्राप्त कर लेते हैं, उन्हें अर्जित करने और सिखाने के लिए विशेष प्रयास करने होते हैं। बच्चों की कुछ ऐसी आवश्यकताएँ हैं जो अधिकांश बच्चों की जरूरतों से भिन्न होती हैं, अर्थात् उनकी कुछ विशेष जरूरतें होती हैं।जेंडर, पर्यावरण और उनके आवश्यकताएं एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय हैं। इसे हम अलग दृष्टिकोण से नहीं देख सकते हैं। आज के युग में लड़का और लड़की एक समान दृष्टि से देखकर उन्हें पर्यावरण के बारे में ऐसी जानकारियां दे सकते हैं के भविष्य में हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रख सके।
ReplyDeleteछात्रों की आवश्यकता के अनुसार वातावरण का निर्माण, हमें उन्हें कहानी कहने, बाहर के समूहों की गतिविधियों के माध्यम से सिखाना चाहिए।
ReplyDeleteछात्रों की आवश्यकता के अनुसार वातावरण का निर्माण, हमें उन्हें कहानी कहने, बाहर के समूहों की गतिविधियों के माध्यम से सिखाना चाहिए।
ReplyDeleteकिसी भी पारस्परिक संबंध के निर्माण ,उसे बनाए रखने और उसमे सुधार के लिए संवेदनशील होना और एक दूसरे की देखभाल करने का गुण, आवश्यक प्राथमिक गुणों में से एक है । शिक्षण-अधिगम के वातावरण में इन गुणों को शिक्षक -विद्यार्थी, शिक्षक -शिक्षक,विद्यार्थी -विद्यार्थी, शिक्षक -शिक्षक आदि के बीच के संबंध विकसित करने और मजबूत करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
ReplyDeleteकक्षा में संवेदनशील और देखभाल जब शिक्षक द्वारा विद्यार्थियो के प्रति और एक विद्यार्थी द्वारा दूसरे के प्रति मौखिक और गैर -मौखिक व्यवहार के माध्यम से व्यक्त की जाती है ।इससे किसी विद्यार्थी का मूल्यांकन किए बिना उनके गुणों और अवगुणों की समझ विकसित होती है ।यह भावना सभी को उनकी कमजोरियों में सुधार करने और उनकी क्षमताओं को मजबूत करने का प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करता है, इस प्रकार मनोवैज्ञानिक रूप से सुरक्षित और अनुकूल वातावरण बनता है ।
संवेदनशीलता में लिंग, संस्कृति, विकलांगता, सामाजिक नुकसान, मानवाधिकार आदि जैसे संवेदनशील मुद्दो के प्रति स्वयं के दृष्टिकोण के बारे में जागरूकता शामिल है ।जो किसी के कार्यों (विचार, भावना और व्यवहार )को पहचानने में मदद करती है ।संवेदनशीलता शिक्षकों को निष्पक्ष तरीके से अपने विद्यार्थियो के गुणों, अवगुणों, विशेष योग्यता आदि को जानने, समझने और मूल्यांकन करने में सहायता करती है ।
संवेदनशील और देखभाल करनेवाला व्यक्ति बनने के लिए स्वयं और दूसरे के भावों का अच्छा पर्यवेक्षक होना आवश्यक है ।इसके अन्तर्गत किसी की मौखिक और गैर- मौखिक अभिव्यक्तियो के माध्यम से उनकी भावना और विचारों को समझने, बिना किसी पक्षपात के स्वयं और दूसरो को स्वीकार करने, गरिमा के साथ किसी के संसाधनों को साझा करने की क्षमता और दूसरो के संसाधनों के प्रति सम्मान दिखाना शामिल है ।संवेदनशील होने और देखभाल करने वाला बनने के लिए धैर्य रखने और दूसरों में इसका संचार करने की भी आवश्यकता है ।
सभी क्रिया कलापों के माध्यम से बच्चों को समान भागीदारी बनाना है तथा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के आवश्यकता के अनुसार सुविधा देकर शिक्षण क्रिया संपन्न कराना चाहिए।
ReplyDeleteसर्वप्रथम कक्षा के ससभी बच्चोँ को एकत्रि करेंगे.और उन्हे तीन चार भागो में विवादित करेंगे और जरुरात के हिसाब से समय देकर कक्षा का परिचालन करेंगे.पतय्पस्तक के वीविंत कहानियां और कविताओं की मद्यं से संवेधानहीं हाय मदों का समावेश और उनकी समाधान का उधरन देकर क्या जा सकता है।
ReplyDeleteसर्वप्रथम कक्षा के सभी बच्चो को एकत्रित करेंगे। और उन्हे तीन-चार भागो मे विभाजित करेंगे। और जरूरत के हिसाब से समय देकर कक्षा का परिचालन करेंगे।
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक के विभिन्न कहानियाँऔर कविताओ के माध्यम से संवेदनहीन मुद्दो का समावेश और उनके समाधान का उदाहरण देकर किया जा सकता है।
जेडंर, पयावरण और विशेष आवश्यकताओ आदि जैसे मुदो को लेकर कक्षा मे पाठपुस्तक के सहायता से पढा सकते है। जैसे- बच्चों को इन मुदो को लेकर चित्र दिखा कर कुछ कहानियां सुनायेंगें तथा बच्चों के आवश्यकता ओ के अनुसार शिक्षण देकर उन्होंने विकास करेंगे।
ReplyDeleteकक्षाओं में कविताओं और कहानियों के माध्यम से संवेदनशील मुद्दे जैसे जेंडर पर्यावरण और विशेष आवश्यकताओं आदि का समावेश करके पढ़ा सकते हैं। आवश्यकता अनुसार बच्चों को एकत्रित कर अलग -अलग समूहों में विभाजन करके के कक्षाओं का परिचालन किया जा सकता है।
ReplyDeleteशिक्षा के सभी क्षेत्रों में लिंग संबंधी और सामाजिक सबोधनो की घोषणा की है।
इस अवधि में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा में और उसे शिक्षकों द्वारा कैसे प्रदान किया जा सकता है उसमें अमूल परिवर्तन हुए हैं।
समानता को प्रोत्साहित करने के लिए, सभी को, न केवल सुलभता में बल्कि सफलता की अवस्थाओं में भी, समान अवसर प्रदान होगा। इसके अन्तर्गत सभी को अंतर्निहित समानता की जागरूकता का निर्माण मूल पाठ्यचर्चा के माध्यम से किया जाएगा। इसका प्रयोजन सामाजिक पर्यावरण और जन्म के संयोग के माध्यम से संचारित पूर्वाग्रहों और पेचीदगियों को दूर करने का प्रयास करेंगे।
सबसे पहले हम कक्षा में सभी बच्चों को एकत्रित करेंगे और फिर बच्चों को अलग अलग भागो में बांटकर बिवाजित करके विभिन्न कहानियों और कविताओं के सहायता से संवेदनशील मुद्दों का समावेश और उनके समाधान का उदहारण प्रस्तुत कर सकते है
ReplyDeleteएक जेंडर दिव्यांगता पर्यावरण अध्ययन से जुड़ाव है बच्चों को बाहर की दुनिया से जोड़कर कहानी उदाहरण चित्रों के माध्यम से उन्हें समझ विकसित करने का प्रयास करेंगे ताकि भविष्य में एक संवेदनशील नागरिक बन सकें
ReplyDeleteBaccho ko gender ,paryavaran aur vishes aawoshaytaaiwo ka uchit giyan dena chahiye .Alag alag samuho me baccho ko baatkar vishesh kahaniya sunawungaa aur vishes swadenshil muddoh par bachho ko samjawungga
ReplyDeleteकक्षा मे विभिन्न कहानियों और कविताओ की सहायता से संवेदनशील मुद्दा को समावेश और उसके समाधान का उदाहरण प्रस्तुत किया जा सकता है। सरवप्रथम कक्षा को आवश्यकता के अनुसार बच्चो को एकत्रित कर उन्हें अलग -अलग समूह मे विभाजित किया जा सकता है।
ReplyDeleteकक्षा में विभिन्न कहानियों और कविताओं की सहायता से संवेदनशील मुद्दौं का समावेश और उनके समाधान का उदाहरण प्रस्तुत किया जा सकता है। सर्वप्रथम कक्षा कोआवश्यकता के अनुसार बच्चों को एकत्रित कर उन्हें अलग-अलग समूहों में विभाजित किया जा सकता है। तथा आवश्यकता के अनुसार समय देकर कक्षा का परिचालन किया जा सकता है।
ReplyDeleteकक्षा में विभिन्न कहानियों और कविताओं की सहायता से संवेदनशील मुद्दों का समावेश और उनके समाधान का उदाहरण प्रस्तुत किया जा सकता है। सर्वप्रथम कक्षा को आवश्यकता के अनुसार बच्चों को एकत्रित कर उन्हें अलग-अलग समूहों में विभाजित किया जा सकता है, तथा आवश्यकता के अनुसार समय देकर कक्षा का परिचालन किया जा सकता है।
ReplyDeleteअगर ऐसी कक्षा समावेश करने को मिले तो। मैं सबसे पहले आवश्यकता के अनुसार बच्चों को एकत्रित कर उन्हें अलग अलग समूह मे बाट कर, भरपुर समय देकर उनकि जरुरत के अनुसार कक्षा का परिपालन करूँगा ।
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक कहानियों तथा कविताओं के माध्यम से सम्वेदनशील मुददों जैसे- जेंडर के साथ जुड़े रुढिवादी सोच, पर्यावरण संरक्षण, विशेष आवश्यकताओं या दिव्यांग्जन आदि का सटीक विश्लेषण कर मुददों का सही समावेश किया जा सकता है आवश्यकता अनुसार पाठ का अनुसरण कर अथवा कक्षा का परिचालन कर छात्रों को मुददों के प्रति महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान किया जा सकता है।
ReplyDeleteकक्षों में कहानी के माध्यम से विभिन्न सम्वेदनशील मुद्दे जैसे जेंडर पर्यावरण और विसेष आवस्यकताओ(दिव्यागौ ) आदि का समावेश करके पढ़ा सकते है ।
ReplyDeleteजैसे पाठपुस्तक के बहादूर विततो की कहानी एक उदाहरण है ।कहानी के नाम/ शीर्षक के बारे में की गयी बातचीत बच्चों को कहानी की मुख्य घटनाओं,पात्रो का विश्लेषण करने या पर्यावरण संबंधी तथा जेंडर उसके बारे मे सोचे बिचार का अवसर जुटाती है
ReplyDeleteलैंगिक जागरूकता, लैंगिक संवेदनशीलता, पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरणीय संतुलन और दिव्यांगों के लिए सुलभता जैसे मुद्दे समग्र शिक्षा का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। इन मुद्दों को शिक्षकों द्वारा विभिन्न विषयों के शिक्षण में चर्चा, प्रस्तुतियों आदि के माध्यम से समन्वित किया जा सकता है।
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ReplyDeleteEk shikshak hone Kai Karan mein yah kehna chahungi ki yah Jo vibhin samvedhanshil mudde jaise gender ,paryavaran aur visesh avashaktao (diyyaganjav)aadi ka smavesh yeh hai ki hume gender ko barabar sthan Dena chaiye.bachon ke Dil dimag me yeh chaap chorna hai ki larka ho ya larki ya phir dinner ho samaj me sbko ek adar saman milna chahiye kakshao me jab bacche padhne ke liye aate hai toh us kaksha ka pariyavaran ek shudh rup me hona chaiye jaise ki ek kushal maahol bachon see aachi tarah baat chit karna kaise ho kehna, naam lekar bulana, muskurakar, abhinandan karna aur haal chaal puchna aachi paryavaran nirman Kar sakte hai aur rahi vishes aabyashaktao ki baat Hume iss bachon ko bhi saath lekar chalna hai aur ninmalikhit suvidha praypt karana hai
ReplyDeleteKaksha may vivin kahaniyon aur kavitaon ki sahayata se samvedanshil muddon ka samavesh aur unke samadhan ka udaharan prastut kiya ja sakta hai. Sarva pratham kaksha ko avashyakta ke anusar bacchon ka ekatrit kar unhen alag alag samuh may vibhajit kiya ja sakta hai, tatha avashyakta ke anusar samay dekar kaksha ka parichalan kiya ja sakta hai.
ReplyDeleteपाठय पुस्तक में प्रकाशित कविताओं एँव कहानियों के माध्यम से विभिन्न संवेदनशील मुद्दों जैसे-जेंडर से जुड़े रूढियों, पर्यावरण संरक्षण के उपाय तथा दिव्यांग्जन के प्रति समाज के कर्तव्य आदि का उचित उदाहरणों के साथ सटीक समावेश किया जा सकता है ।
ReplyDeleteमैं आपनी कक्षा में कहानियों और कविताओं की सहायता से बच्चों को विभिन्न संवेदनशील मुद्दे जैसे जेंडर, पर्यावरण और विशेष आवश्यकताओं (दिव्यांग्जन) आदि के विषय को समझाने की कोशिश करूँगी ।साथ ही साथ चित्रों एवं चर्चा बच्चों के साथ ।
ReplyDeleteकक्षाओं में कविताओं और कहानियों के माध्यम से संवेदनशील मुद्दे जैसे जेंडर पर्यावरण और विशेष आवश्यकताओं आदि का समावेश करके पढ़ा सकते हैं। आवश्यकता अनुसार बच्चों को एकत्रित कर अलग -अलग समूहों में विभाजन करके के कक्षाओं का परिचालन किया जा सकता है।
ReplyDeleteशिक्षा के सभी क्षेत्रों में लिंग संबंधी और सामाजिक सबोधनो की घोषणा की है।
इस अवधि में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा में और उसे शिक्षकों द्वारा कैसे प्रदान किया जा सकता है उसमें अमूल परिवर्तन हुए हैं।
समानता को प्रोत्साहित करने के लिए, सभी को, न केवल सुलभता में बल्कि सफलता की अवस्थाओं में भी, समान अवसर प्रदान होगा। इसके अन्तर्गत सभी को अंतर्निहित समानता की जागरूकता का निर्माण मूल पाठ्यचर्चा के माध्यम से किया जाएगा। इसका प्रयोजन सामाजिक पर्यावरण और जन्म के संयोग के माध्यम से संचारित पूर्वाग्रहों और पेचीदगियों को दूर करने का प्रयास करेंगे।
Chhatro ko unki jarurat ke hisaab se shaksham banane ke liye alag - alag Shamugrah mein baatkar awishakta - anusaar samay dekar unka vikas karenge.
ReplyDeleteChatroh ko ektrit karke samay diya jayega uske baat unke vichar se paraya jayega.
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ReplyDeleteलैंगिक जागरूकता, लैंगिक संवेदनशीलता, पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरणीय संतुलन और दिव्यांगों के लिए सुलभता जैसे मुद्दे समग्र शिक्षा का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। इन मुद्दों को शिक्षकों द्वारा विभिन्न विषयों के शिक्षण में चर्चा, प्रस्तुतियों आदि के माध्यम से समन्वित किया जा सकता है।
ReplyDeleteलैंगिक जागरूकता, लैंगिक संवेदनशीलता, पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरणीय संतुलन और दिव्यांगों के लिए सुलभता जैसे मुद्दे समग्र शिक्षा का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। इन मुद्दों को शिक्षकों द्वारा विभिन्न विषयों के शिक्षण में चर्चा, प्रस्तुतियों आदि के माध्यम से समन्वित किया जा सकता है।